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वैश्विक बाजार में स्क्वेअरींग ऑफ तथा एफआईआई की बिक्री में कमी के कारण सकारात्मक रूख अपनाने के कारण बाजार में मंदी का माहौल बना हुआ है । योजना में यह बदलाव फरवरी और मार्च में विशाल मात्रा में बिक्री होनें के कारण बाजार नीचें है । उसी समय कुछ विकसित देशों में वाईरस के फैलाव के कारण उन देशों ने लॉकडाऊन के कारण तथा फेड द्वारा वित्तव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन पैकेज देनें की अपेक्षा के कारण यह परिणाम देखे गए ।
भारत में लॉकडाऊन के अवधि में बढ़ोत्तरी हुई है, जिस की काफी हद तक उम्मीद थी और बाजार पर उसका काफी कम असर है । पर बाजार पर लॉकडाऊन के निष्कर्श और भविष्य में उन नियमों का कठोर पालन पर निर्भर है । हम २० अप्रैल के बाद छूट की उम्मीद कर सकतें है, वह भी स्थानीय/जिला क्षेत्र की स्थिती के आधार पर, फिर भी अधिक सहजता की उम्मीद हम ३ मई की समयसीमा के खत्म होनें के बाद कर सकतें है । छूट अधिक मात्रा में असंघटीत वर्ग, दैनिक श्रमिकों और किसानों के लिए दी जाने की उम्मीद है । कॉर्पोरेट्स के लिए कोई लाभ होनें की उम्मीद नहीं है, विशेष रूप से वित्तीय व्यवस्था को रोजमरहा की चीजे, स्टेपल्स, सेहत सुविधाए तथा बैंकिंग सेवाओं के लिए मांग में बढ़ोत्तरी हो सकती है । पूर्ण रूप से लॉकडाऊन ३ महिनें या अधिक समय के लिए हो सकता है और स्थानीय स्तर पर यशस्वी होनें के बाद चरणबध्द पध्दती से प्रतिबंधों को देश, राज्यों और स्थानों के अनुसार हटाया जाएगा । पिछले एक हफ्ते में भारत के घनी आबादी वाले इलाकों , हॉटस्पॉट्स के साथ नए इलकों में केसेस में बढ़ोत्तरी हुई जो देश के लिए चिंता का विषय बना है ।
वष२० की ४थी तिमाही के निष्कर्शों का समय आ गया है, इसलिए अपेक्षाएं मिलीजुली है । जनवरी से मार्च के दौरान चीन और अन्य देशों में लॉकडाऊन के कारण कई क्षेत्रों पर परिणाम हुआ है और कुछ क्षेत्रों पर स्थानीय स्तर पर लॉकडाऊन के कारण मांग और आपुर्ती में हुई गिरावट का परिणाम हुआ है । दुनिया में संपूर्ण लॉकडाऊन के चलते वर्ष २१ के पहले तिमाही पर बुरा असर पड़ने वाला है, जिस से ४थी तिमाही बाजार के लिए महत्त्वपूर्ण नहीं रहेगी ।
आज बाजार की गती कई तकनिकी बातों पर निर्भर है । निफ्टी ५० पिछले हफ्ते के ८००० से ८५०० सुधरकर ८५०० से९६०० के स्तर पर पहुंच चुका है । यह नयी रेंज तब तक जारी रहेंगी जब तक एफआईआईज वैश्विक बाजार में सकारात्मक होनें के साथ ही स्थानीय तथा वैश्विक स्तर पर नयी केसेस पर नियंत्रण प्राप्त करनें पर निर्भर रहेगी । वित्तीय व्यवस्थाओं में काम रूक जानें से तथा वैश्विक बाज़ार में फेड द्वारा अधिक नकदी देनें के निर्णय तक बाजार का रूख संभालकर चलनें का रहेगा । भारत में हम यह आशा कर रहें है की अगले माह मार्च में घोषित किए गए १.७ लाख करोड रूपयों के पैकेज से अधिक के पैकेज की घोषणा होगी ।
रिटेल निवेशकों के लिए यह समय धैर्य रखते हुए, प्रतिक्षा करतें हुए तथा एसआईपी में निवेश करतें रहनें का समय है । हमें विश्वास है की हम इस “ग्रेट लॉकडाऊन” से बच सकेंगे तथा समय के अनुसार उपाय ढूंढकर, लॉकडाऊन को यशस्वी करतें हुए उपचार और लसीकरण प्राप्त कर सकेंगे । लंबी अवधि में निवेशक लॉकडाउन की इस अवधि के दौरान एक रणनीति का संचय कर सकते हैं जो सबसे खराब समय होगा । आज बाजार को यह उम्मी है की वर्ष २१ की २ तिमाही में वित्तीय व्यवस्था में सुधार होगा । अपनां खतरा उठानें की क्षमता के अनुसार कारोबारी बाजार के सुधरनें तक इंतजार कर सकतें है और अपनीं स्थिती को स्क्वेअर ऑफ कर सकते है । एफएमसीजी, स्टेपल्स, फार्मा और सेहत जैसे क्षेत्र इस दौरान अच्छा कार्य कर सकते है ।